हमारे parents कर्जा उठाते हैं बेटों की पढ़ाई के लिए और अपनी बेटियों की विदाई के लिए हमारे society में आज्ञाकारी सबसे बड़ा title है जो सिर्फ और सिर्फ औरतों के लिए है
बहु हो या बेटी सबको एक आदमी का ही कहा सुनना पड़ता है
एक लड़की क्या करना चाहती है क्या बनना चाहती है कैसे जीना चाहती है
क्या कभी किसी ने पूछा है बहु हो या बेटी क्यूँ सबको एक आदमी का सुनना पड़ता है .

आज भी लड़कियों और औरतों को बंदिशों में रहना पड़ता है !!!
क्यूँ ये समाज औरतों के लिए सही कदम नहीं उठा सकता है !!!!
हर चीज की जिम्मेदारी एक लड़की के ही सर पर क्यूँ होती है !!!
क्या कभी औरतों को उनका हक मिलेगा या फिर सारी जिंदगी ऐसे ही रहेगी !!!!
🖤Aaisha gour 🖤
Nice quotes
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and let the lioness roar…
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Everything is about to change, all over the world, and the thought of always will disappear. Om shanti. I send you this link: https://wp.me/p3plnn-bN8
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ऐसी सी ही एक कविता पढ़ी थी जिसका भाव था : पुरानी मान्यताओं में जकड़ी अपने को असहाय समझने वाली एक युवती औरों से मदद की आस लगाए है | उसी को ये लाइने कहीं मैंने :
खुद भंवर बन
किसी से भी आस की आस छोड़ दे
स्वयं अपने तक़दीर की दिशा मोड़ दे
प्रयत्न कर, जोश भरी हुंकार एक दे
ना कर किसी भंवर का इंतज़ार
खुद भंवर बन,अपनी बेड़ियाँ तोड़ दे
-रविन्द्र कुमार करनानी
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