*रोने की कोई वजह है भी नही और वजह है भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*मगर एक दम से बैठे बैठे आँखों से आशु बहने लगे हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

*मन इतना भारी हो रहा है की अगर किसी ने मजाक मै भी कोई बात बोल दी तो इन आँखों से एक बार फिर बरसात हो जायेगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*जो बरसात पता ही नहीं कब तक रुके,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*ये आँखे जो छोटी छोटी बातो पर कभी भी बरस पड़ती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*बहुत बार तो कोई वजह ना हो फिर भी आँखे बोल ही पड़ती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

*क्या है इन आँखों मै ऐसा जो ये थोड़ी देर भी खुद को बरसने से रोक नही पाती सारे बंधन तोड़ कर ये आँखे बरस जाती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
*इन आँखों से और इन आशुओ से एक खास और गहरा रिश्ता सा बन गया है,,,,,,,,,,,
*जो मरते दम तक टूटेगा नही,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Sometimes the sensitivity is planted in the heart and anything affective, produces crying. I liked your poem.
Thank you so much sir
You are welcome
Very well expressed Anam…it’s relatable as well….
Thank you so much dear
You’re welcome, Anam ✨
सही कहा, कई बार आंखें बोल पड़ती हैं।
बहुत ही सुन्दर कविता। 💯👍
Thank you so much dear
Mate … I love birds and clouds and tears and hearts too !
Very well anam
Thank you dear